Friday, August 28, 2009

संदेश

प्रिय दोस्तों , मै इस ब्लॉग पर केवल अब गीत लिखूंगा , जो मेरे द्वारा लिखे गये है । धन्यवाद .......

Saturday, May 23, 2009

चाँद उदास है .............


आज चाँद बड़ा उदास है । कुछ भी अच्छा नही लग रहा ,चाँद डर सा गया है आज मानव मुझ तक भी पहुच गया । न जाने क्या -क्या समस्याए झेलनी पड़ेगी ।
यह मनुष्य भी अजीब प्राणी है पहले धरती को गन्दा किया और अब चाँद पर भी पहुच गए। बेचारा चाँद बहुत चिंतित है । उसे यह डर हो गया है की अब मेरी शीतलता भी गर्माहट में बदल जायेगी । मेरा उजला रूप काला हो जाएगा और मेरी रौशनी माद्यम पड़ जायेगी ।
चाँद अपनी उदासी को धरती से बाटता है और पूछता है कि तुम इन मनुष्यों को कैसे झेलती हो ?यह बहुत गंदे है ?इनकी वजह से ही तुम्हारी ख़तम हो गई ?गंगा कि निर्मलता चली गई ?और तो और ,समुद्र भी उबलने लगा है ?
धरती कहती है ---हे चाँद शहनशील बनो , अधिक व्याकुलता ठीक नही है । अब तक मै इनका बोझ धोती रही हु । सारे सुख -दुःख मैंने उठाये , और अब ..............जब मनुष्य तुम्हारी गोद में खेलना चाहता है ,चिडिया चाँद पर चहकना चाहती है और बच्चे चाँद पे लुका -छिपी करना चाहते है । तो तुम ?अपना स्वार्थ दिखा रहे हो । ऐसा मत करो ?मनुष्य तुम्हे भी हरा-भरा और स्वच्छ रखेगा , तुम्हारी शीतलता बनी रहेगी ।

जूलियो के नाथ-------- मटुकनाथ !

मुझे दुःख है कि मै मटुकनाथ नही बन पाया ,और न ही मेरे जीवन में कोई जुली ही आ
पाई । बहुत बड़ी विडम्बना है कि मेरे से ज्यादा उम्र के लोग आज भी अपने से आधी उम्र कि म्रिग्नैनियो से आख -मिचौली खेल रहे है । कभी मोबाइल से बात करते है ,तो कभी परदे के अन्दर बुलाकर । ऐसे में मुझे अपने आप पर तरस आता है कि मै २४ साल का युवा एक कानी कन्या भी नही पटा सका । मोबाइल पर बात करना तो दूर ,किसी लड़की ने मिस काल नही किया होगा । अब आप ही बताये मेरे दिल के अरमानो का क्या होगा ? जो आज भी हिलोरे ले रहा है । मुझे हैरानी तो तब हुई जब मैंने सुना कि किसी मटुकनाथ ने अपनी जुली से मोबाइल पर पूछा कि ,क्या पहनी हो ? मै तो दंग रह गया कि आज मटुकनाथ अपनी जूलियो के पहनावेतक का भी ख्याल रख रहे है। .............. ऐसे में आज जरुरत आ पड़ी है विश्वविद्दालय के हर विभाग में एक मटुकनाथ कि ................ ।

दोस्त चुनो..........

दोस्त चुनो तुम ऐसा , की वो दोस्ती न तोडे ,
जो राह में न छोडे ,
जो साथ रहे हर पल ,
धूप हो ,बारिश हो या छाया रहे बादल ।
दोस्त चुनो तुम ऐसा , जो दुःख को भी समझे ,
सुख में साथ होगा ही ,
कष्ट में भी आ धमके ,
ऐसे दोस्ती करो की टूटे न कभी ,
दिल में बसा लो , साथ छूटे न कभी ।।

Monday, April 20, 2009

वो लम्हे.......वो बातें .


भौगोलिक पर्यटन मेरे जीवन की सबसे सुखद और सबसे परिवर्तन शील समय रहा । जिसने मुझे यह अहसास दिलाया कि मैं इन दिनों में एक नए दुनिया में प्रवेश कर चुका हूँ । ............जहाँ सुरम्य प्राकृतिक सोंदर्य अपनी अनुपम छटा बिखेर रही है । जहाँ सागर कि उठती - गिरती लहरे मेरे अन्तर्मन् को बार - बार उद्वेलित कर रही थी और सागर कि आगोश में समाया हुआ सूरज अपनी विछिन्न हो रही लालिमा से मेरे ह्रदय में अमिटछाप छोड़ रहा था । ...... to kahin दूर maanjh कीkashti को किनारा देती hooi shital हवा स्वर lahario में bahi ja रही थी । to dusari तरफ़ warshant की रात "नव warsh " के प्रभात के आने की खुशी में तारों की mahfil sajaye baithi थी । ..... मई इस समय chhayawadi vicharon की daor से गुजर रहा हूँ । मेरे jehan पर prakrit का shabanami spars , मुझे atit की aor ले ja रहा है और मैं usaki तरफ़ khincha चला ja रहा हूँ ....................... ।

Friday, April 17, 2009

चप्पल की अभिलाषा

बहन जी ने जब से तिलक तराजू और तलवार , इनको मारो जूते चार ।की बातों को जब से हवा दिया है , तब से जूतेऔर चप्पलों की अभिलाषाएं जाग उठी है ।......... आज हर चप्पल किसी नामी - गिरामी व्यक्ति पर ही समर्पित होना चाहता है । अब समस्या यह है की कौन इनकी इच्छा को पुरी कराएँ , लेकिन कोई किसी का भाग्य नही छीन सकता .... धरती वीरों से खाली नही है जिसने जार्ज बुश ,नविन जिंदल , पी.चिदंबरम और अडवानी जैसे महा मानवों को जन्म दिया । अगर ये सज्जन धरती पर अवतरित न होते तो सायद चप्पलो की इच्छा पूरी न हो पाती। यही वो महा मानव है जिन्होंने भीड़ के बिच में भी चप्पलो को सहर्ष स्वीकार किया है । आज चप्पलो में भी चलने चलने को लेकर काफी प्रतियोगिता बढ़ गयी है । कोई भी चप्पल अपनी बखान सुनाये बिना नहीं रह पता क्योकि अब समय चप्पोलो का आ गया है ..................हर चप्पल पीर से निकल कर सर पे विराज मान होना चाहता है वो भी किसी पापुलर आदमी पर । अगर चप्पलो की इच्छा ऐसे ही सर पर चढ़ कर बोलेगी तो आने वाले समय में हर आदमी को चप्पल खाने के लिए तैयार रहना होगा । आखिर कब तक आदमी चप्पल की अभिलासा पूरी करने के लिए लहू लुहान होता रहेगा .....................?

Thursday, April 16, 2009

इसके जूते कौन खायेगा ?